“डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ऐसे अधिकारी, जिनकी कार्य शैली की छाप पूरे समाज पर दिखाई देती है”

  • सहायक शिक्षा निदेशक का व्यस्ततम कार्यक्रम
  • लगातार पांच कार्यक्रमों में एक ही दिन में शामिल हुए डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल

देहरादून । केवल नौकरी तक के लिए तो बहुत सारे अधिकारी कार्य करते हैं, परंतु कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनकी कार्य शैली की छाप पूरे समाज पर दिखाई देती है, ऐसे ही अधिकारी है इस समय सहायक शिक्षा निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल जो लगातार प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ शिक्षा एवं संस्कृति की रक्षा के लिए भी पूरे प्रदेश में कार्यक्रमों को समय दे रहे हैं।

इस श्रंखला में शनिवार को डॉक्टर घिल्डियाल के एक ही दिन में 5 कार्यक्रम लगे हुए थे सुबह 10:00 बजे वह देहरादून जनपद के हरिपुर कला में माउंट मैरी पब्लिक स्कूल पहुंचे और वार्षिकोत्सव का मुख्य अतिथि के रूप में शुभारंभ किया। वहां पर ग्राम प्रधान गीतांजलि ज़ख्मोला एवं जिला पंचायत सदस्य दिव्या बेलवाल ने उनका भव्य स्वागत किया।

उसके बाद उन्होंने राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज हरिपुर कला में लोक संस्कृति कार्यक्रम का शुभारंभ किया अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उत्साह संपन्न विद्यार्थी और शिक्षक ही समाज का निर्माण कर सकते हैं, और इसके लिए लोक संस्कृति का सर्वप्रथम संरक्षण आवश्यक है, यहां उन्होंने प्रतिभा संपन्न छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को सम्मानित भी किया।

इसके बाद वे ऋषिकेश आवास विकास विद्या मंदिर के वार्षिकोत्सव में पहुंचे और अपने संबोधन से छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों का उत्साह वर्धन किया। उसके बाद श्री भरत मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पहुंचकर उन्होंने कहा कि गृहस्थ धर्म में रहकर भी भगवान की प्राप्ति हो सकती है। इसके लिए श्रीमद्भागवत का वाचन और श्रवण परम आवश्यक है।

इसके बाद वह त्रिवेणी घाट पर संत गोपाल मणि के सानिध्य में चल रही श्रीराम कथा में पहुंचे और लोगों से कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र हमको मर्यादित जीवन जीना सिखाता है। इसलिए संतो द्वारा समय-समय पर राम कथा का वाचन परम आवश्यक है।

इसके बाद दो अन्य कार्यक्रमों में शामिल होकर वह सीधे ढाल वाला चंद्र पैलेस ऋषिकेश में पूरे राज्य से एकत्रित हुए संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्रबंधकीय शिक्षकों के प्रांतीय अधिवेशन में पहुंचे और उन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि-

देववाणी संस्कृत की वजह से ही भारत की प्रतिष्ठा विदेशों में है, इसलिए भारत को जगतगुरु बनाए रखने में संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का बहुत बड़ा हाथ है। उपस्थित शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य से उन्होंने सरकार द्वारा शिक्षा के हित में चलाई जा रही तमाम कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को देकर नए सत्र में अधिक से अधिक छात्र संख्या बढ़ाने के उपाय करने की भी बात कही और नव निर्वाचित पदाधिकारियों को अपनी शुभकामनाएं दी।

सभी कार्यक्रमों में पहुंचने पर उपस्थित जनप्रतिनिधियों, शिक्षक नेताओं, शिक्षकों,,धर्मगुरुओं एवं छात्र छात्राओं ने सहायक निदेशक का फूल माला पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर गर्मजोशी से स्वागत किया।

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