सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना का और भी अधिक महत्व क्यों है जानिए आचार्य श्री चंडी प्रसाद घिल्डियाल की कलम से
श्रावण का सौर मास प्रारंभ हो रहा है 16 जुलाई से जबकि चंद्रमास प्रारंभ होगा 25 जुलाई से
सावन सौर मास का पहला सोमवार 19 जुलाई को जबकि चंद्र मास का पहला सोमवार 26 जुलाई को होगा
धार्मिक तौर पर सावन के महीने को बहुत ही पवित्र महीनों में गिना जाता है। भारत में लोग इस महीने के सोमवार को बहुत ही सौभाग्यशाली और पुण्य फलदाई मानते हैं। सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है।
मान्यता है कि सावन के सोमवार के दिन भगवान भोले शंकर की विशेष कृपा होती है. कुंवारी कन्याएं सावन के सोमवार का वृत करती हैं. भगवान भोले के भक्त सावन के सोमवार का विशेष रूप से इंतजार करते हैं. उत्तराखंड ज्योतिष रत्नआचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि इसमेंखास बात यह है कि गढ़वाल मूल के लोग सौर मास के अनुसार सोमवार का व्रत रखते हैं जबकि मैदानी इलाकों के लोग चंद्रमास के अनुसार व्रत रखते हैं।
इसलिए क्योंकि सौर मास 16 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है तो सौर मास का पहला सोमवार का व्रत 19 जुलाई को रखा जाएगा जबकि चंद्रमास 25 जुलाई से शुरू हो रहा है तो उसका पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ेगा चंद्र मास के अनुसार सावन का महीना केवल 29 दिन का होगा क्योंकि इसमें द्वितीय और नवमी तिथि का शुक्ल पक्ष में क्षयहो रहा है इसलिए शुक्ल पक्ष 14 दिन का होगा जबकि कृष्ण पक्ष पूरे 15 दिन का रहेगा इसलिए सौर मास के अनुसार सावन में पांच सोमवार होंगे जबकि चंद्रमास के अनुसार केवल चार सोमवार होंगे।
ऐसे करें भगवान पशुपतिनाथ को प्रसन्न-
मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर मानव जीवन की सभी समस्याओं को हल करने की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित ज्योतिषाचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं यदि किसी की जन्मपत्री में मारक योग चल रहा हो उसके लिए इस महीने में मृत्युंजय शिव यंत्र पूर्ण वैदिक और वैज्ञानिक पद्धति से शुद्ध करने से उसका अल्पायु योग टलजाता है जिनके घर गृहस्ती में टकराव चल रहा हो अथवा जिनका विवाह न हो रहा हो उनके लिए गृहस्थ सुख बाधा निवारण यंत्र बनाने से संकट टल जाता है। संतान प्राप्त ना हो रही हो तो संतान की प्राप्ति हो जाती है नौकरी न मिल रही हो तो प्राप्त हो जाती है। असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं।
सावन में रोज 21 बेलपत्रों पर चंदन से ‘ऊं नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
– विवाह में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं और गृहस्थ सुख बाधा पति अथवा पत्नी सुख बाधा निवारण यंत्र पूर्ण वैदिक और वैज्ञानिक पद्धति से सिद्ध कर बनाया जाए तो इससे विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।
– घर में नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए सावन में रोज सुबह घर में गंगाजल का छिड़काव करें और धूप जलाएं।
श्रीमद्भागवत रत्न से सम्मानित आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि सावन में गरीबों को भोजन कराने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। इससे घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती और साथ ही पितरों को भी शांति मिलती है।
– सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर मंदिर या फिर घर में ही भगवान शिव का जलाभिषेक करें. इसके साथ ही ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
– व्यापार और बिजनेस बढ़ाने के लिए सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें। और इसके साथ सर्व मनोरथ सिद्धि यंत्र सिद्ध किया जाए तो व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो जाती है।
– प्रत्येक मंत्र के साथ बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं. बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें. अंतिम 108 वां बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें और इसे घर के पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन पूजा करें.
संतान प्राप्ति के लिए सावन में गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं और प्रत्येक शिवलिंग का शिव महिम्न स्त्रोत से 11 बार जलाभिषेक करें।
– सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करने से बीमारियां दूर होती हैं. अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी भी धातु का उपयोग किया जा सकता है।
– सावन में किसी नदी या तालाब में जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं और साथ ही साथ मन में भगवान शिव का ध्यान करें इससे आपको मनचाहे फल की प्राप्ति होगी।
माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए किया था ये काम
भगवान शिव को पार्वती ने पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को सावन का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं। यही कारण है कि इस महीने कुंवारी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं। यह भी मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था। इसलिए इस माह मे रुद्राभिषेक कराने का बहुत बड़ा महत्व है।
आचार्य का परिचय
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- धर्मपुर चौक के पास अजबपुर रोड पर मोथरोवाला टेंपो स्टैंड 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइल नंबर-9411153845
उपलब्धियां
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में। सटीक भविष्यवाणी पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने दी उत्तराखंड ज्योतिष रत्न की मानद उपाधि। त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ। ज्योतिष में इस वर्ष 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।