“पूजा” का वास्तविक अर्थ क्या है? जानिए आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल से सरल शब्दों में

“पूजा” का वास्तविक अर्थ-

ऐसा अनुभव होता है कि पूजा शब्द ही अपने आप में पूजा का अर्थ और उसके स्वरूप को समेटे हुए है।
कैसे?

“पूजा” शब्द, दो वर्णों – “पू”+ “जा” से बना है।

“पू” – का मतलब है –

(१) पूर्ण परमेश्वर को,
(२) पूर्ण सृष्टि को,
(३) पूर्णता हेतु,
(४) पूर्णता से,

“जा” का मतलब है-

(१) जागृत होकर,
(२) जानने के लिए,
(३) जाने का प्रयास करना।
इस प्रकार “पूजा” का व्यापक अर्थ या परिभाषा बनती है –
“मनुष्य द्वारा, पूर्ण परमेश्वर को, परमेश्वर की पूर्ण सृष्टि को तथा अपनी स्वयं की पूर्ण महिमा को, पूर्णता से जानने के लिए, पूर्ण जागृत होकर किन्हीं पूर्ण सदगुरुदेव की शरण में जाकर, उनके उपदेशानुसार जो पूर्ण प्रयास किया जाता है, उसे “पूजा” कहते हैं।

पूजा का सामान्य अर्थ

सामान्यतया “पूजा” का तात्पर्य अपने वैदिक सनातन हिन्दू धर्म में प्रचलित शोडसोपचार पूजा विधि के अनुसार, वैदिक व शास्त्रीय संस्कृत मंत्रोच्चार के साथ अपने घर पर अथवा मन्दिर, आश्रम आदि पूजा स्थलों पर प्रतिष्ठित देवी-देवताओं की तस्वीरों और मूर्तियों का पूजन-अर्चन, आरती, प्रसाद दर्पण आदि समझा जाता है।

पूजा के उद्देश्य-

सामान्यतया सामान्य लोगों द्वारा कुलपरम्परा या अपने तरीके से की जाने वाली पूजा के केवल दो ही उद्देश्य हुआ करते हैं:-

(१) अपने व अपने आश्रितों को यदि वर्तमान में किसी कष्ट, रोग व विपत्ति ने घेरा है तो वह शीघ्रातिशीघ्र समाप्त हो।

(२) अपने व अपने आश्रितों को वर्तमान में जो स्वस्थता, सुख-सम्पदा, सम्पन्नता, सुरक्षा, समृद्धि, लाभ, पद, प्रतिष्ठा,यश,सम्मान, खुशी आदि प्राप्त है उनमें तनिक भी कोई कमी न आने पावे, इनमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे और मन में जो भी कामना या संकल्प हो उसमें यथाशीघ्र पूर्ण सफलता प्राप्त हो।

इन सामान्य लोगों से कुछ ऊपर उठे हुए लोगों की विभिन्न पूजाकर्मों को करने के निम्न तीन उद्देश्य और हुआ करते हैं:-

(१) एकल व सामूहिक भजन- कीर्तन,गायन, वादन व नृत्य से मनोरंजन व आनन्दरस की प्राप्ति होना।
(२) अपनी पूजा अनुष्ठान के बाद मन मुताबिक कामना पूरी होने पर अपने पूज्य देवी-देवताओं का आभार व्यक्त करने तथा उनकी कृपा हमेशा बनी रहे, इस कामना से पुनः यथा समय पूजा अनुष्ठान करना।
(३) कोई विशेष सिद्धि प्राप्त करना ताकि समाज में दूर-दूर तक उनकी प्रतिष्ठा बढ़े और मन चाहे भोग-ऐश्वर्य व ख्याति का लाभ उठाने को मिले।

आचार्य का परिचय

नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय मकान नंबर सी 800 आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र ऋषिकेश
मोबाइल नंबर-9411153845

उपलब्धियां

वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में लगातार सटीक भविष्यवाणियां करने पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान से सम्मानित किया वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ शिक्षा एवं ज्योतिष क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर लोगों की समस्त समस्याओं का हल करने की वजह से वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।

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