महिला चिकित्सालय में सर्जरी की सुविधा होने के बावजूद गर्भवती महिलाओं को अन्य अस्पतालों में किया जा रहा रेफर
- महिला चिकित्सालय में सर्जरी की सुविधा होने के बावजूद गर्भवती महिलाओं को अन्य अस्पतालों में किया जा रहा रेफर
- सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांडे ने उक्त संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपा शिकायती पत्र
- कर्मचारियों की कमी को किया जाए दूर
- स्टाफ नर्स की भी आवश्यकता
अल्मोड़ा । अमर उजियारा संवाददाता
सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांण्डे ने कल अल्मोड़ा के मुख्य चिकित्साअधिकारी आर.सी.पंत से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात कर शिकायती पत्र सौंपा। जिसमे बताया गया कि महिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिये आती है जिन्हें रेफर कर दिया जाता है, जबकि चिकित्सालय में सर्जरी की सुविधाएं है अतः इस बार बार रेफर करने की प्रवृति को रोका जाए।
उन्होंने कहा कि अक्सर ये देखा गया है कि महिला चिकित्सालय में लिपिक फार्मेसिस्ट सामान की ढुलाई से लेकर रजिस्टर का लेखा जोखा रखने का कार्य स्वयं ही करते हैं। जिन्हें मैंने कई बार यह कार्य करते हुए देखा है जिससे कर्मचारियों की कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। अतः जिन कर्मचारियों को जिस कार्य हेतु रखा गया है उनसे वही कार्य करवाया जाय, इन कर्मचारियों की परेशानी को मद्देनजर रखते हुए महिला चिकित्सालय में कर्मचारियों की कमी को दूर किया जाए। इसके अलावा जिला चिकित्सालय में भी स्टाफ नर्स की कमी है जिसे अतिशीघ्र दूर किया जाए।
चिकित्सालय में निशुल्क होने वाली पैथोलॉजी जांचों की जानकारी प्रत्येक वार्ड में फ्लेक्सी व पोस्टर के माध्यम से चस्पा की जाए। चिकित्सालय में सुविधा के बाद भी बाहर से जांच कराने वाले चिकित्सकों व विभागीय कर्मचारियों पर कारवाही की जाए व साथ ही उत्कृष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकों व कर्मचारियों को प्रोत्साहित भी किया जाए। यदि किसी कारणवश सरकार द्वारा अनुबंधित निजी पैथोलॉजी के टेस्ट रिपोर्ट में कुछ खामियां पाई जाती है तो इसकी लिखित सूचना चिकित्सकों को भी जनहित में अपने उच्चाधिकारियों को देनी चाहिए। जिससे लोगों को गुणवत्तापूर्ण रिपोर्ट प्राप्त हो सके।
जिला चिकित्सालय व महिला चिकित्सालय में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के अवकाश में जाने के बाद अक्सर चिकित्सालयों की व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती है। अतः संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए, बीते दिनों प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के अवकाश में जाने पर महिला व जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई थी जिसकी शिकायत जिलाधिकारी महोदय से भी की थी। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए किसी योग्य व्यक्ति की नियुक्ति आवश्यक है जो प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक की गैरमौजूदगी में चिकित्सालय की व्यवस्था को सुचारू रूप से चला सके। चिकित्सालय को नो स्मोकिंग जोन घोषित किया जाए, साथ ही परिसर के अंदर धूम्रपान,बीड़ी,सिगरेट,गुटका आदि को प्रतिबंधित किया जाए। जो भी व्यक्ति व कर्मचारी इनका उल्लंघन करें उनका चालान किया जाए इसकी जानकारी फ्लक्सियों व पोस्टर के माध्यम से चिकित्सालय के मुख्य द्वार व प्रमुख स्थानों पर चस्पा की जाए।
इस समय अल्मोड़ा शहर में केवल एक सिटी स्कैन मशीन है जो कि बेस चिकित्सालय में लगी है वह भी अक्सर खराब रहती है। सिटी स्कैन मशीन के अभाव में लोगों को हल्द्वानी जाना पड़ता है इस परेशानी को मद्देनजर रखते हुए कृपया जिला चिकित्सालय में एक सिटी स्कैन मशीन को स्थापित किया जाए। पिछले कोविड-19 काल में दो ऑक्सीजन प्लांट( बेस व जिला चिकित्सालय) अल्मोड़ा में स्थापित की गये थे, पर बड़े आश्चर्य की बात है इन दोनों में से एक ऑक्सीजन प्लांट मैं भी बूस्टर नहीं लगा है जोकि खाली सिलेंडर को भरने के काम आता है इस उपकरण के अभाव में अभी तक लोगों को इस प्लांट का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है आज भी लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर को भरने के लिए हल्द्वानी या रुद्रपुर भेजना पड़ता है, अतः लोगों की परेशानियों को देखते हुए बेस व जिला चिकित्सालय में ऑक्सीजन प्लांट में बूस्टर उपकरण को लगाया जाए। अस्पताल में रोगियों के लिए जन औषधि केंद्र में दवाइयां उपलब्ध कराकर रोगियों को सस्ती दवाइयों का लाभ दिलाया जाए इस पर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने उपरोक्त सभी समस्याओं का समाधान गम्भीरतापूर्वक अति शीघ्र करने की बात कही व साथ ही यह भी बताया कि कुछ पर काम भी शुरू हो चुका है, इस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी का आभार व्यक्त किया गया।