लंबे समय बाद गृहस्थ एवं वैष्णव भक्तों के लिए एक ही दिन श्री कृष्णा जन्माष्टमी का व्रत 30 अगस्त को रहेगा सभी का व्रत – ज्योतिषाचार्य सीपी घिल्डियाल

देहरादून । 28 अगस्त 2021

इस वर्ष बन रहा है वही ग्रह नक्षत्र का संयोग जो भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय पर था। लंबे समय बाद गृहस्थ एवं वैष्णव भक्तों के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एक ही दिन मनाया जाएगा जबकि गत वर्षों तक यह त्यौहार 2 दिन मनाया जाता था परंतु इस बार 30 अगस्त को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि-

श्रीकृष्ण ने भादौ माह में ही रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था. 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र व हर्षण योग रहेगा. देश भर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है. जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग मानते हैं. द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग पड़ा था ।

श्रीमद् भागवत व्यास गद्दी पर विराजमान होने वाले आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शास्त्रीय महत्व बताते हुए कहते हैं कि-

जिस तरह से श्रावण मास में भगवान शिव की भक्ति होती है, उसी तरह से भाद्रपद मास में श्रीकृष्ण की आराधना का महत्व है. इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. शास्त्रीय प्रमाण के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3228 ईसवी वर्ष पूर्व हुआ था. 3102 ईसवी वर्ष पूर्व कान्हा ने इस लोक को छोड़ भी दिया. विक्रम संवत के अनुसार, कलयुग में उनकी आयु 2078 वर्ष हो चुकी है. अर्थात भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी लोक पर 125 साल, छह महीने और छह दिन तक रहे. उसके बाद स्वधाम चले गए. मुख्यमंत्री द्वारा ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान से सम्मानित डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार, भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट पर होगा. अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात में 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. इस हिसाब से व्रत के लिए उदया तिथि को मानते हुए 30 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत एवं त्यौहार मनाना ही शास्त्र सम्मत है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे ये शुभ ज्योतिषीय संयोग

ज्योतिष शास्त्र में बहुत बड़े हस्ताक्षर आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन
पूजा का अति विशिष्ट शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात को 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. वैसे गृहस्ती लोग पहले भी भगवान की पूजा कर लेते हैं तो उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है क्योंकि गृहस्थ धर्म निभाने वालों के सामने बच्चों का पालन पोषण सहित तमाम जिम्मेदारियां होती हैं भादो माह में ही भगवान श्रीकृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था. 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र व हर्षण योग रहेगा. देश भर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है. जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग मानते हैं और इसलिए ये संयोग और बेहतर है. द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग पड़ा था. ज्योतिष शास्त्रमें बताया गया है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राशि के अनुसार भगवान कृष्ण को भोग लगाने से कान्हा की कृपा बनी रहती है।

राशि अनुसार इस प्रकार लगाएं भोग और करें पूजन

मेष– इस दिन गाय को मीठी वस्तुएं खिलाकर श्रीकृष्ण भगवान का पूजन करें।

वृष– इस राशि वाले लोग दूध व दही से श्रीकृष्णजी का भोग लगाएं. सफेद रंग की किसी भी मिठाई का भोग भी चढ़ाएं।

मिथुन– गाय को हरी घास या पालक खिलाएं और मिश्री का भोग लगाकर श्रीकृष्णजी का पूजन करें।

कर्क– जन्म अष्टमी के दिन माखन मिश्री मिलाकर लड्डू गोपाल को भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करें.

सिंह– जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण भगवान को पंच मेवा का भोग लगाकर पूजन करें. बेल का फल भी अर्पित करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

कन्या– इस राशि के लोग केसर मिश्रित दूध का भोग लगाकर श्रीकृष्णजी को अर्पित करें और गाय को रोटी खिलाएं.

तुला– भगवान श्रीकृष्ण को फलों का भोग लगाकर पूजन करें.और मावे से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

वृश्चिक– इस राशि के लोग चीनी और मावा भरकर गाय को खिलाएं और केसरिया चावलों का भगवान को भोग लगाएं।

धनु– जन्माष्टमी के दिन बादाम के हलवे से केसर मिलाकर वासुदेव को भोग लगाकर पूजन करें।

मकर– शुद्ध आटे और घी से बनी पंजीरी श्री कृष्णजी का भोग लगाकर पूजन व अर्चना करें।

कुंभ– कृष्ण जी के पास गुलाब के फूल चढ़ाएं पीली बर्फी का भोग चढ़ाएं।

मीन– मीन राशि वाले प्रभु श्रीकृष्ण को कोई भी मीठा पदार्थ या केले का भोग लगाए।

मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर जीवन की सभी समस्याओं के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित ज्योतिषी आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं किश्री कृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि यदि किसी के लिए विवाह संबंधी संतान संबंधी रोजगार संबंधी रोगों से मुक्त संबंधी और मृत्युंजय शिव यंत्र पूर्ण वैदिक और वैज्ञानिक पद्धति से सिद्ध किया जाता है तो उसका बहुत बड़ा असर होता है और यदि उस दिन से प्रारंभ कर आने वाली भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन अथवा गणेश चतुर्थी के दिन यंत्र सिद्ध किया जाता है तो सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

आचार्य का परिचय
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- धर्मपुर चौक के पास अजबपुर रोड पर मोथरोवाला टेंपो स्टैंड 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइल नंबर-9411153845

उपलब्धियां

वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में। सटीक भविष्यवाणी पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने दी उत्तराखंड ज्योतिष रत्न की मानद उपाधि। त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ। ज्योतिष में इस वर्ष 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।

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