आज होगी सौरमंडल में बड़ी हलचल, क्या होगा देश दुनिया पर इसका प्रभाव?? जानने के लिए पढ़िए पूरा समाचार

  • आज होगी सौरमंडल में बड़ी हलचल
  • पूरे देश और दुनिया पर पड़ेगा प्रभाव
  • राहु वृषभ राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे वहीं केतु वृश्चिक राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे।

देहरादून । अमर उजियारा ज्योतिष एवं संस्कृति डेस्क । आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल की कलम

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का राशि परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ता है। साल 2022 कई ग्रहों के राशि परिवर्तन का वर्ष है।अप्रैल का महीना ग्रहों के राशि परिवर्तन के हिसाब से खास रहने वाला है।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्नआचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि अप्रैल माह में शनि, गुरु और राहु-केतु काफी अंतराल के बाद राशि बदलेंगे। राहु-केतु करीब 18 महीनों के बाद राशि बदलने वाले हैं। राहु-केतु का राशि परिवर्तन 12 अप्रैल को होगा। 12 अप्रैल मंगलवार को सुबह 10:36 पर सौर मंडल की घटना के तहत राहु और केतु अपनी भ्रमण की राशि बदलेंगे राहु-केतु दोनों ही छाया ग्रह माने गए हैं और ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल से चलते हैं। राहु मेष में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेंगे। मौजूदा समय में राहु वृषभ और केतु वृ्श्चिक राशि में मौजूद हैं। इन दोनों ग्रहों के राशि परिवर्तन का भूमंडल पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा देश और दुनिया में हलचल होगी बड़े बड़े राजनीतिक निर्णय होंगे फिल्म जगत में हर चालू होगी राहु सट्टा और शेयर मार्केट का कारक भी है इसलिए वहां भी हलचल होगी इसके साथ ही प्रत्येक राशि के प्राणी को भला या बुरा असर पड़ेगा।

मुख्यमंत्री द्वारा ज्योतिष वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित आचार्य चंडी प्रसाद जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में बहुत बड़े हस्ताक्षर के रूप में पहचाना जाता है कहते हैं कि-

ज्योतिष गणना के अनुसार शनिदेव के बाद राहु-केतु सबसे ज्यादा दिनों तक किसी एक राशि में विराजमान रहते हैं। शनि जहां ढाई साल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं तो वहीं राहु-केतु 18 महीनों के बाद उल्टी चाल से चलते हुए राशि बदलते हैं। 18 साल बाद दोबारा से राहु-केतु मेष और तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह है। मंगल और राहु एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं। वहीं केतु और शुक्र ग्रह एक दूसरे के प्रति सम भाव के माने गए हैं।

राहु-केतु के बारे में पौराणिक कथा

काफी प्रचलित कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था। तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था। हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में है।

देश दुनिया पर राहु-केतु का असर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी राहु-केतु का राशि परिवर्तन होता है। तब इसका प्रभाव न सिर्फ सभी जातकों के ऊपर होता है बल्कि देश-दुनिया पर भी प्रभाव देखने को मिलता है। राहु-केतु के गोचर से कई तरह के प्राकृतिक उथल-पुथल होने की संभावना रहती है। पृथ्वी पर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है और वर्षा भी कम होती है। देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर होती है। एक-दूसरे देशों में तनाव काफी बढ़ जाता है। रोग बढ़ जाते हैं जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है।

12 राशियों पर असर

राहु-केतु के गोचर से सभी राशि के जातकों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष गणना के अनुसार कुंडली में मौजूद राहु-केतु की दशा के आधार पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है। राहु-केतु के 18 महीनों के बाद राशि बदलने के कारण मोटे तौर पर मेष, वृषभ, कर्क,कन्या और मकर राशि वालों को सावधानी बरतनी पड़ेगी। आप सभी के लिए राहु-केतु का प्रभाव अच्छा नहीं रहेगा। वहीं सिंह, तुला,वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए यह गोचर शुभ और लाभ दिलाने वाला साबित होगा। धन लाभ और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी, वहीं मिथुन और मीन राशि वालों पर इस राशि परिवर्तन का कोई विशेष प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।

उपाय

सौर मंडल वैज्ञानिक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल का कहना है कि राहु केतु के प्रभाव को केवल राशि से देखकर नहीं मापा जा सकता है इसके लिए कुंडली में देखा जाएगा कि व्यक्ति की कुंडली में उनका स्थान किस प्रकार का है। जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता। राहु-केतु के प्रभाव को कम करने के लिए काले कंबल और जूते का दान करना शुभ रहता है। यह उपाय केवल सामान्य उपाय हैं जैसे सामान्य बुखार की दवा पेरासिटामोल है। परंतु यदि राहु केतु की दशा का बड़ा लाभ लेना चाहते हैं तो इसके लिए ज्योतिषीय एंटीबायोटिक के रूप में उनका आयुर्वेदिक इलाज आवश्यक है इसके लिए सभी लोग संपर्क कर सकते हैं।

आचार्य का परिचय

नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय मकान नंबर सी 800 आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र ऋषिकेश
मोबाइल नंबर-9411153845

उपलब्धियां
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में लगातार सटीक भविष्यवाणियां करने पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान से सम्मानित किया वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ शिक्षा एवं ज्योतिष क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर लोगों की समस्त समस्याओं का हल करने की वजह से वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।

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