“सेवा दिवस” के नाम पर जनता को सच बताना हमारा उद्देश्य – अभिषेक बहुगुणा
- जन अधिकार पार्टी (जनशक्ति) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: अभिषेक बहुगुणा ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा अपने तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 23 मार्च को “सेवा दिवस” मनाने की घोषणा पर जन अधिकार पार्टी (जनशक्ति) ने गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अभिषेक बहुगुणा ने इसे जनता के सामने सरकार की वास्तविक स्थिति को उजागर करने का अवसर बताया है। उनका कहना है कि यह प्रेस नोट जनता को तथ्यों के आधार पर जागरूक करने और सरकार से जवाबदेही की अपेक्षा करने के लिए जारी किया गया है।
अभिषेक बहुगुणा ने कहा, “हमारा मकसद जनता को यह समझाना है कि ‘सेवा दिवस’ के दावों के पीछे हकीकत क्या है। जन अधिकार पार्टी शांतिपूर्ण और जिम्मेदार तरीके से तथ्यों को सामने ला रही है, ताकि जनता खुद फैसला कर सके। हमारा यह प्रयास जनता का भरोसा बढ़ाने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए है।”
सरकार से सवाल और वादाखिलाफी की सच्चाई
उत्तराखंड सरकार ने अपने कार्यकाल में कई बड़े वादे किए थे, लेकिन तथ्य बताते हैं कि इनमें से अधिकांश अधूरे रह गए हैं। अभिषेक बहुगुणा ने सरकार के तीन साल के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए निम्नलिखित बिंदुओं को सामने रखा:
रोज़गार का वादा
वादा: बीजेपी ने 2017 और 2022 के घोषणापत्र में युवाओं के लिए रोज़गार सृजन और बेरोज़गारी कम करने की बात कही थी।
हकीकत: पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (2019-20) के अनुसार, उत्तराखंड में बेरोज़गारी दर 7% से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत (4.8%) से दोगुनी है। 2011-12 में 1.39 लाख बेरोज़गारों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 3.23 लाख हो गई। पहाड़ी क्षेत्रों में युवाओं में बेरोज़गारी दर 24% तक है।
पलायन रोकने का दावा
वादा: सरकार ने पलायन रोकने के लिए ग्रामीण विकास और पलायन निवारण आयोग गठित करने का वादा किया था।
हकीकत: आयोग के बावजूद, पलायन जारी है। 2001-2011 के जनगणना डेटा के अनुसार, अल्मोड़ा और पौड़ी-गढ़वाल जैसे जिलों में जनसंख्या में भारी कमी आई। 734 गांव “घोस्ट विलेज” बन चुके हैं। RTI डेटा के अनुसार, पिछले 10 सालों में 5 लाख से अधिक लोग राज्य से पलायन कर चुके हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार
वादा: बीजेपी ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों को मज़बूत करने का दावा किया था।
हकीकत: CAG रिपोर्ट (2019-20) के अनुसार, राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बेहद खराब स्थिति में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है, और विशेषज्ञ सेवाओं के अभाव में लोग मैदानी इलाकों में जाने को मजबूर हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में PPP मॉडल से कुछ सुधार की बात कही गई, लेकिन यह पहाड़ी क्षेत्रों तक नहीं पहुंचा।
शिक्षा का विकास:
वादा: सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था।
हकीकत: ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। नेशनल स्टैटिस्टिक ऑफिस (2020) के अनुसार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पलायन का बड़ा कारण है। कई स्कूल एकल शिक्षक पर चल रहे हैं।
बुनियादी ढांचा और सड़कें:
वादा: चारधाम परियोजना और ग्रामीण सड़कों के विकास का दावा किया गया।
हकीकत: चारधाम सड़क परियोजना से भूस्खलन और पर्यावरणीय नुकसान बढ़ा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें अभी भी खस्ताहाल हैं। पहाड़ी इलाकों में कनेक्टिविटी की कमी बनी हुई है।
अवैध खनन पर रोक
वादा: सरकार ने गंगा के 5 किमी दायरे में खनन पर रोक का वादा किया था।
हकीकत: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हरिद्वार और अन्य क्षेत्रों में अवैध खनन जारी है। गंगा के तट से 30 फीट तक खुदाई की खबरें हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।
अभिषेक बहुगुणा ने सरकार से सवाल उठाते हुए कहा, “तीन साल में कितने युवाओं को रोज़गार मिला? पलायन रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए? स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति क्यों नहीं सुधरी? जनता को इन सवालों का जवाब चाहिए। हम जनता से सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि सरकार के दावों को अपने आसपास की हकीकत से मिलाएं। उन्होंने कहा ‘सेवा दिवस’ के नाम पर प्रचार के बजाय सच को परखें। जन अधिकार पार्टी-जनशक्ति आपकी आवाज़ को मज़बूती से उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा यह कदम न तो टकराव है, न ही कोई उकसावा, बल्कि एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका है।”