नशामुक्त अभियान” की सफलता सुनिश्चित करने हेतु पुलिस महानिदेशक, द्वारा समस्त जनपद प्रभारियों को दिशा-निर्देश निर्गत किये गये
देहरादून। दीपम सेठ, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड के निर्देशन में एनडीपीएस मादक पदार्थों की रोकथाम के “ड्रग फ्री देवभूमि -2025” मिशन के अंतर्गत *पूरे प्रदेश में दिनांक 16 दिसंबर 2024 से एक माह का “नशामुक्त अभियान”* संचालित किया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों में संलिप्त बड़े पेशेवर अपराधियों, तस्करों, किंगपिन और व्यवसायिक स्तर पर सक्रिय बड़े तस्करों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करना तथा नशा उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाना है।
“नशामुक्त अभियान” की सफलता सुनिश्चित करने हेतु पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड द्वारा समस्त जनपद प्रभारियों को निम्न दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं।
मादक पदार्थों से सम्बन्धित अपराधों में संलिप्त अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही
1. अभिलेखीकरण-
- विगत में पंजीकृत अपराधों में प्रकाश में आये तथा गिरफ्तार हुए अपराधियों की सूची बनाकर, विशेषकर पेशेवर, व्यवसायिक मात्रा वाले अपराधियों, किंग-पिन जैसे बड़े अपराधियों को चिन्हित कर उनकी वर्तमान स्थिति का भौतिक सत्यापन किया जाये।
- इन अपराधियों के डोजियर बनाकर उनकी ट्रैकिंग की जाये तथा अभियान में निश्चित व बड़ी कार्यवाही करने हेतु एक टारगेट निर्धारित किया जाये।
- एनडीपीएस एक्ट से सम्बन्धित अपराधों में संलिप्त अपराधियों / गैंगस्टर्स के डोजियर जनपद स्तर पर तैयार किये जायें, जिसका परिक्षेत्र स्तर पर समन्वय कर कार्यवाही की जाये।
- उक्त डोजियर्स को एसटीएफ द्वारा भी तैयार कर अपडेट किये जायेंगे, जिसके सम्बन्ध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ द्वारा सूचना का प्रारूप निर्धारित कर समस्त जनपद / इकाईयों को उपलब्ध कराया जाये।
2. अभिसूचना संकलन-
- जनपदों में प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित करके अभिसूचना इकाई अथवा छद्म वेश में सुरागरस पुलिस कर्मियों को डिप्लोय कर प्रभावी अभिसूचना संकलन किया जाये।
- वर्तमान में मादक पदार्थ की तस्करी ऑनलाईन प्लेटफार्म के माध्यम से किये जाने हेतु साईबर अपराध की दृष्टि से उचित निगरानी / सतर्क दृष्टि रखने के लिए एएनटीएफ की सहायता हेतु जनपद में स्थापित साईबर सेल में नियुक्त पुलिस अधिकारी / कर्मचारियों को लगाया जाये।
- इस कार्यवाही में जनपद एसओजी को भी सम्मिलित किया जाये।
3. पिकेट/वैरियर चैकिंग-
- प्रदेश के समस्त जनपदों में मादक पदार्थ में प्रयुक्त होने वाले मार्ग, उस मार्ग के थाने, चौकी, पिकेट तथा बैरियर ड्यूटी को चिन्हित कर लिया जाये।
- प्रदेश के समस्त थाना / जनपद स्तर पर तस्करी रूट तथा हॉटस्पॉट चिन्हित कर लिया जाये तथा चिन्हित रूट पर पड़ने वाले समस्त थानों, चौकी, पिकेट, वैरियर तथा 112 के वाहनों की समुचित ब्रिफिंग की जाये।
- अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर/नेपाल सीमा आदि खुले स्थानों को चिन्हित कर उसे भी सूचीबद्ध किया जाये।
4. बरामदगी/गिरफ्तारी / विवेचना-
- बीएनएसएस की धाराओं में उल्लिखित निर्देशों का पालन कराया जाये।
- एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत आवश्यक प्रावधानों का भी पालन किया जाये।
- विवेचना के दौरान साक्ष्य के आधार पर धारा 27ए तथा 29 एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत भी कार्यवाही की जाये।
- मादक पदार्थों से सम्बन्धित बड़े तस्करों तथा पेशेवर अपराधियों की फाइनेंसियल इन्वेस्टीगेशन भी की जाये।
5. अन्य एजेन्सियों से समन्वय-
- अभियान में विभिन्न राज्य / केन्द्रीय एजेन्सियों, यथा-केन्द्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, क्षेत्रीय स्वापक नियन्त्रण ब्यूरो, सीमा शुल्क कार्यालय, आसूचना ब्यूरो, आबकारी विभाग, औषधि नियन्त्रण विभाग से समन्वय किया जाये।
- सीमावर्ती राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय बनाकर नशे के बड़े कारोबार में संलिप्त गैंग की ठोस अभिसूचना संकलित करते हुए गैंगों का समूल उन्मूलन किया जाये।
- नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों की वित्तीय जांच के संचालन एवं पूरे आपराधिक नेटवर्क को समाप्त करने के लिए ईडी, एफआईयू तथा इनकम टैक्स विभाग से भी सहायता ली जाये।
6. सम्पत्ति अधिग्रहण सहित निरूद्धि की कार्यवाही-
- धारा 68 एनडीपीएस एक्ट में निहित प्रावधानों के अन्तर्गत सक्षम अधिकारी के माध्यम से अवैध सम्पत्ति अधिग्रहण करने की कार्यवाही की जाये।
- पेशेवर अपराधियों के विरूद्ध नियमानुसार गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही कराते हुए धारा 14 गैंगस्टर एक्ट के अन्तर्गत भी सम्पत्ति अधिग्रहित की जाये।
- पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत भी ऐसे पेशेवर अपराधियों के विरूद्ध नियमानुसार निरूद्धि की कार्यवाही करायी जाये।
7. अन्य कार्यवाही-
- राज्य में एनडीपीएस एक्ट के मामलों की सभी जांचों में “टॉप-डाउन” और बॉटम अप” दृष्टिकोण से सभी श्रोतों का विस्तृत अन्वेषण किया जाये, इसमें मुख्य अभियुक्त एवं उसके नेटवर्क आदि का पता लगाकर हर सम्भव प्रयास कर आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाये।
- राज्य में स्थापित नारकोटिक्स श्वानों से मादक पदार्थों की तस्करी एवं बिक्री करने वाले संदिग्ध व्यक्तियों तथा संदिग्ध वाहनों / स्थानों इत्यादि की समय-समय पर चैकिंग कर उपयोग किया जाये।
जन-जागरूकता हेतु किये जाने वाले प्रयास
स्कूल/कॉलेज / संस्थानों में जनजागरूकता कार्यक्रम-
- ड्रग जागरूकता अभियान चलाकर जागरूकता सम्बन्धी स्टीकर / पोस्टर तैयार कर जनपदों में सार्वजनिक स्थानों / वाहनों पर चस्पा / प्रदर्शित करने हेतु वितरित किये जाये।
- जनपदों के सभी स्कूल/कॉलेजों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों / मेडिकल कॉलेजो आदि का सर्वे करायें तथा ड्रग प्रभावित स्कूल / कॉलेज, शिक्षण / मेडिकल संस्थानों को चिन्हित करें।
- छात्र-छात्राओं के एण्टी ड्रग क्लब बनाकर उनको अपने साथ प्रोएक्टिवली इंगेज करें। ट्रैफिक वोलिन्टियर्स की तरह प्रभावित शिक्षण संस्थानों से छात्र-छात्राओं को एण्टी ड्रग वोलिन्टियर्स बनाये जायें तथा उन्हें नशा बेचने वाले तथा नशा करने वालों के सम्बन्ध में स्थानीय पुलिस को सहयोग करने हेतु प्रेरित किया जाये।
- प्रभावित स्कूल / कॉलेज / शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग कर नशे के विरूद्ध जागरूकता उत्पन्न करने हेतु चित्रकला प्रदर्शनी एवं कार्यशाला के साथ ही रैलियां, सेमिनार, कार्यशालायें तथा ई-प्रतिज्ञा अभियान, ड्रग फ्री कैम्पस का आयोजन तथा उनके प्रबन्धकों से प्रमाण पत्र लिये जायें।
- सभी स्कूल/कॉलेज / शिक्षण संस्थानों, विशेषकर प्रभावित स्कूल / कॉलेज / शिक्षण संस्थानों, में प्रिन्सिपल / टीचर्स / अभिभावकों (पीटीपी) की एण्टी ड्रग कमेटी गठित करके नशा प्रतिरोध के लिए थाना प्रभारियों अथवा थाना स्तरीय एएनटीएफ प्रभारियों द्वारा मासिक एवं अन्य उच्च अधिकारियों द्वारा दो माह/तीन माह में बैठक की जाये।
नशामुक्ति केन्द्र-
- नशा करने वालों का रजिस्टर बनाया जाये तथा थाने में एएनटीएफ सेल द्वारा उनकी ट्रैकिंग कर उनको उनको नशामुक्त केन्द्र में भर्ती करायें।
- केन्द्र के प्रबन्धकों / कर्मचारियों के साथ इन्टेलीजेन्स गैदरिंग करें तथा उनके माध्यम से भर्ती किये गये व्यक्तियों से ड्रग आने का स्रोत, ड्रग लाने वाले का नाम पता, पहुंचाने के मुख्य-मुख्य स्थान आदि की पूरी जानकारी ली जाये।
- नशामुक्ति केन्द्रों की समय-समय पर चैकिंग की जाये।
गोष्ठी तथा काउंसलिंग-
- जनपदों में छोटे-छोटे बच्चों एवं आम व्यक्तियों में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ाने से रोकने के लिये नशे के आदी व्यक्तियों को चिन्हित कर काउन्सलिंग करवाने हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी से समन्वय कर मनोचिकित्सक / विशेषज्ञ / काउंसलर नियुक्त किये जायें।
- नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने हेतु आम जनमानस के साथ नियमित गोष्ठियां करते हुये प्रभावित स्थान चिन्हित कर तद्नुसार सतर्कता बरती जाये।
सोशल मीडिया-
- ड्रग्स जागरूकता सम्बन्धी ऑडियो/वीडियो सन्देश जारी करते हुए सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, एफएम रेडियो, दूरदर्शन टीवी के माध्यम से प्रचार प्रसार कराया जाये।
- लाऊड हेलर तथा नगर निगम /पालिका/पंचायतों आदि के माध्यम से संचालित हो रहे कूड़ा उठाने में प्रयुक्त होने वाले वाहनों में जारी स्वच्छता मिशन सन्देश के साथ ड्रग्स जागरूकता सन्देश का भी प्रचार-प्रसार किया जाये।
नोडल अधिकारी की नियुक्ति-
- उक्त विशेष अभियान के अन्तर्गत कार्यवाही हेतु प्रदेश स्तर पर एएनटीएफ प्रभारी एसटीएफ, उत्तराखण्ड तथा जनपद स्तर पर पुलिस उपाधीक्षक, ऑपरेशन (ऑप्स) नोडल अधिकारी होंगे।
- नशे के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी / सूचना दिये जाने हेतु प्रदेश स्तरीय एएनटीएफ, जनपद स्तरीय एएनटीएफ एवं सीओ, ऑप्स के मोबाइल / दूरभाष नम्बरों का प्रचार-प्रसार किया जाये।
अन्य कार्यवाही-
- नशा मुक्ति हेतु एनसीबी का पोर्टल निदान तथा मानस जैसे नेशनल पोर्टलों का भी प्रयोग किया जाये। एफएसएल से परीक्षण रिपोर्ट तत्काल उपलब्ध कराये जाने हेतु नियमित समन्वय किया जाये, जिससे पॉजीटिव परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अभियुक्तों को सजा दिलाये जाने में सहायता मिल सके।
- नशा करने वालों के लिए ब्रेथ एनालाइजर जैसे उपकरण क्रय किये जाये।
- बड़े-बड़े संस्थाओं, जैसे सन्त निरंकारी, रामकृष्ण ट्रस्ट मिशन, ब्रहमकुमारी आदि के साथ समन्वय कर आवश्यकतानुसार एमओयू कर वोलिन्टियर के साथ बड़े-बड़े कैम्पियन किये जायें।
- प्रत्येक थाने पर नशे के एडिक्ट/पैडलर के रजिस्टर बनायें, जिसमें उनका विवरण अंकित किया जाये।
(अमर उजियारा संवाददाता विश्वजीत कुमार)