बागियों से सहमी भाजपा, फिलहाल अनुशासन का डंडा नहीं चलाने का निर्णय
- मोहलत: निकाय चुनाव में डटे बागियों को 8 जनवरी तक कदम खींचने को कहा
देहरादून (विश्वजीत सिंह)। फिलहाल, भाजपा बागियों के तेवर देख सहम गयी है। राजनीतिक मजबूरी के चलते भाजपा अभी एक्शन लेने के मूड में नहीं है। मतदान 23 जनवरी को है और काफी समय को देखते हुए भाजपा अभी बागियों को एक और मौका दे रही है।
भाजपा ने अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ नाम वापस नहीं लेने वाले अपने कार्यकर्ताओं को तीन दिन की मोहलत और दी है। उनके योगदान को संवेदनशीलता से लेते हुए, पूर्व सीएम, सांसदों, विधायकों पदाधिकारियों को उनसे विमर्श की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने पार्टी मुख्यालय में कहा कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ अभी भी जो लोग पार्टी के कार्यकर्ता मैदान में हैं उनको पार्टी ने अभी 3 दिन का और समय दिया है।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के निर्देशों पर 8 जनवरी की शाम तक हम प्रतीक्षा करेंगे। उन्होंने बताया कि सभी निकायों के लिए पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद, सरकार में दायित्वधारी और विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी है। ये सभी प्रयास करेंगे कि 8 तारीख तक निकाय चुनाव में नाम वापस नहीं लेने वाले कार्यकर्ता, पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में अपने समर्थन की घोषणा करें। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक जितने भी नाम सामने आएं हैं उनमें मानने वालों को छोड़कर शेष के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे लोगों में बहुत से लोग हैं जो कई दशकों से पार्टी के साथ काम कर रहे हैं, लंबे समय उन्होंने अच्छा काम किया है। अब चूंकि, राजनीतिक महत्वाकांक्षा या किन्हीं अन्य वजहों से वह पार्टी निर्णय के विरुद्ध गए तो उन्हें समझाने और पुनर्विचार करने का एक और अवसर दिया जाए।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनको यह अतिरिक्त समय दिया गया है। चूंकि भाजपा कार्यकर्ताओं का सम्मान करने वाली पार्टी है, लिहाजा उन्हें समझाने और सहृदयता से साथ लाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। लिहाजा पार्टी नेतृत्व, अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम विकल्प के रूप में अपनाना चाहता है।