“जनप्रतिनिधियों की क्षीण इच्छाशक्ति के चलते उत्तराखंड के गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित”

गंगोलीहाट | 10 जून 2021 । संपादकीय लेखक

सोचिए 21वीं सदी में कुछ लोग अभी भी अपने गांव तक सड़क आने की राह देख रहे हैं। आज टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है कि कहीं भी सड़क बनना असंभव सा नहीं रह गया है। लेकिन उत्तराखंड के बड़े पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ की तहसील गंगोलीहाट के अंतर्गत आने वाले कई गांव के लोग आजादी के 73 वर्षों के पश्चात भी अपने ग्राम में सड़क आने का इंतज़ार कर रहे हैं।

ऐसा ही एक गांव है ग्राम देवतुङ्ग, पो० आ० कमद, बालातड़ी पट्टी, गंगोलीहाट। ग्राम के अधिकतर लोग पलायन कर चुके हैं। और जो निवासी ग्राम में रह गए हैं वो चाहते हैं कि ग्राम सड़क से जुड़े और लोगों का आवागमन सरल हो।

ग्राम निवासी श्री भगवती प्रसाद पंत से जब हमारे संवाददाता ने इस संबंध में बात की तो उनकी आंखें भर आईं। श्री पंत ने कहा कि उनकी आंखें बहुत कमजोर हो चुकी हैं। सड़क नहीं होने की वजह से उनको बड़ी परेशानी है। 90 वर्षीय माता जी को डॉक्टर के यहां ले जाना असंभव सा प्रतीत होता है। सभी रिश्तेदार मैदानी क्षेत्रों में बस चुके हैं। कुछ ग्राम आकर कुछ रोजगार संबंधी कार्य करना चाहते हैं परंतु ग्राम का मोटर सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाना बहुत बड़ी समस्या है। सरकारें आईं और गईं, नए नए प्रधान बने और गए। सभी ने अपना तो विकास कर लिया परंतु ग्राम का विकास नहीं हो पाया।

केवल जनप्रतिनिधियों की क्षीण इच्छाशक्ति के चलते उत्तराखंड के गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यह एक अकेला ऐसा गांव नहीं है, ऐसे गॉंवों की फेहरिस्त लंबी है।

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