“स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते” – सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल को कार्यक्रम में बुलाने के लिए शिक्षण संस्थाओं में लगी जबरदस्त होड

देहरादून । “स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते” यह उक्ति सहायक निदेशक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल के व्यक्तित्व पर उनको अतिथि के रूप में अपने विद्यालय में बुलाने के लिए पूरे राज्य में सरकारी एवं गैर सरकारी सभी शिक्षण संस्थाओं के बीच लगी होड़ से एकदम सटीक साबित हो रही है।

2022 का समापन का महीना चल रहा है, इसमें राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक अधिकांश शिक्षण संस्थाओं में वार्षिक उत्सव का आयोजन चल रहा है, इन कार्यक्रमों में क्षेत्रीय विधायक एवं मंत्री गणों को तो आमंत्रण होता ही है ,परंतु शिक्षण संस्थाओं के सबसे चहेते बने हुए हैं सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल जिन्हें लगातार पूरे राज्य से प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षण संस्थाएं अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए बाकायदा उनके लिए आमंत्रण पत्र भेज कर उनका समय मांग रहे हैं।

इस संदर्भ में पड़ताल करने पर पता चलता है कि ईमानदार, कर्मठ और शासकीय नियमों पर चलने वाले सख्त मिजाज प्रशासक के साथ-साथ डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल की छवि एक विद्वान अधिकारी के रूप में पूरे राज्य में है, इसलिए तमाम विद्यालयों के प्रधानाचार्य ,शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उनके विचार सुनने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं।

स्मरणीय है कि डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल विज्ञान और वेदांत में एक साथ उच्च शिक्षित अधिकारी हैं, उनका हिंदी ,संस्कृत और अंग्रेजी भाषा पर समान रूप से अधिकार होने की वजह से विज्ञान और वेदांत का एक साथ समन्वय कर अद्भुत तरीके से वाचन करने की वजह से वह शिक्षा विभाग में काफी सख्त मिजाज प्रशासक के साथ-साथ लोकप्रिय अधिकारी भी बने हुए हैं, राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रवक्ता रहते हुए उन्हें वर्ष 2015 में राज्य का” प्रथम गवर्नर अवार्ड” भी दिया गया है, इसके अतिरिक्त भी उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं।

संपर्क करने पर डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने इस बात की पुष्टि की है, कि राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थाओं से उन्हें लगातार मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने के ढेर सारे आमंत्रण पत्र प्राप्त हुए हैं, जिसमें उनकी कोशिश अपने कर्तव्य पालन के साथ-साथ अधिक से अधिक शिक्षण संस्थाओं की भावनाओं को देखते हुए आमंत्रण पत्र स्वीकार करने की रहती है।

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