उत्तराखंड ज्योतिषरत्न सीपी घिल्डियाल के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत अमृत वर्षा – “मैं न होता, तो क्या होता?” इस भ्रम से सदैव दूर रहें।

“मैं न होता, तो क्या होता?”

“अशोक वाटिका” में जिस समय रावण क्रोध में भरकर, तलवार लेकर, सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा तब हनुमान जी को लगा, कि इसकी तलवार छीन कर, इसका सिर काट लेना चाहिये!

किन्तु, अगले ही क्षण, उन्होंने देखा “मन्दोदरी” ने रावण का हाथ पकड़ लिया !

यह देखकर वे गदगद हो गये! वे सोचने लगे, यदि मैं आगे बढ़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मैं न होता, तो सीता जी को कौन बचाता?

बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है, मैं न होता, तो क्या होता ?

परन्तु ये क्या हुआ?

सीताजी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया! तब हनुमान जी समझ गये कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं!

आगे चलकर जब “त्रिजटा” ने कहा कि “लंका में बन्दर आया हुआ है, और वह लंका जलायेगा!”

तो हनुमान जी बड़ी चिंता में पड़ गये, कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नहीं है।

और त्रिजटा कह रही है कि उन्होंने स्वप्न में देखा है,एक वानर ने लंका जलाई है! अब उन्हें क्या करना चाहिए? जो प्रभु इच्छा!

जब रावण के सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी को मारने के लिये दौड़े, तो हनुमान ने अपने को बचाने के लिए तनिक भी चेष्टा नहीं की।

और जब “विभीषण” ने आकर कहा कि दूत को मारना अनीति है, तो हनुमान जी समझ गये कि मुझे बचाने के लिये प्रभु ने यह उपाय कर दिया है!

आश्चर्य की पराकाष्ठा तो तब हुई, जब रावण ने कहा कि बन्दर को मारा नहीं जायेगा, पर पूंँछ में कपड़ा लपेट कर, घी डालकर, आग लगाई जाये।

तो हनुमान जी सोचने लगे कि लंका वाली त्रिजटा की बात सच थी,
वरना लंका को जलाने के लिए मैं कहांँ से घी, तेल, कपड़ा लाता, और कहांँ आग ढूंँढता?

पर वह प्रबन्ध भी आपने रावण से करा दिया! जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं, तो मुझसे करा लेने में आश्चर्य की क्या बात है ! 

इसलिये सदैव याद रखें कि संसार में जो हो रहा है, वह सब ईश्वरीय विधान है! हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं!

इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि मैं न होता, तो क्या होता ?

ना मैं श्रेष्ठ हूँ,
ना ही मैं खास हूँ।
मैं तो बस छोटा सा,
भगवान का दास हूँ।

आचार्य का परिचय

ज्योतिष रत्न श्री चंडी प्रसाद घिल्डियाल

नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय मकान नंबर सी 800 आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र ऋषिकेश
मोबाइल नंबर-9411153845

उपलब्धियां
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में लगातार सटीक भविष्यवाणियां करने पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान से सम्मानित किया वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ शिक्षा एवं ज्योतिष क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर लोगों की समस्त समस्याओं का हल करने की वजह से वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।

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