महाकुंभ के आयोजन से समझ में आ जाना चाहिए ज्योतिष का महत्व: आचार्य दैवज्ञ

देहरादून। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल दैवज्ञ ने कहा है, कि भारत की आध्यात्मिक छवि को अंतरराष्ट्रीय जगत में चमकाने वाले महाकुंभ के आयोजन से ज्योतिष का महत्व नास्तिकों की समझ में आ जाना चाहिए।

राजगुरु के नाम से प्रसिद्ध आचार्य दैवज्ञ ने कहा कि जिस महाकुंभ की वजह से पूरे देश की आध्यात्मिक छवि अंतरराष्ट्रीय जगत में चमक रही है, और पूरे विश्व से लोग इस समय प्रयागराज में एकत्रित हो रहे हैं, इसका निर्धारण हम लोग करते हैं, उन्होंने कहा कि जब सूर्य मकर राशि में और वृहस्पति वृषभ राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ लगता है। यह स्थिति हर 12 वर्षों में बनती है, और प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर महाकुंभ आयोजित होता है। इसे माघ मेला के समय विशेष रूप से मनाया जाता है।

डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि महाकुंभ कब कहां पर लगेगा इसका निर्धारण ना तो कोई वैज्ञानिक कर सकता है ना कोई राजनेता कर सकता है ना कोई ब्यूरोक्रेट कर सकता है इसका निर्धारण सिर्फ और सिर्फ ज्योतिष ही करता है।

उन्होंने कहा कि जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में महाकुंभ लगता है। यह स्थिति हर 12 वर्षों में, हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे महाकुंभ के आयोजन का संकेत देती है। जबकि जब सूर्य और बृहस्‍पति दोनों सिंह राशि में होते हैं, तब नासिक में महाकुंभ लगता है। इसे सिंहस्थ भी कहा जाता है। यह स्थिति भी हर 12 वर्षों में गोदावरी नदी के तट पर नासिक (त्रयंबकेश्वर) में महाकुंभ का आयोजन सुनिश्चित करती है।

अपनी सटीक भविष्यवाणियों के लिए प्रसिद्ध आचार्य दैवज्ञ कहते हैं कि जब सूर्य मेष राशि में और वृहस्पति सिंह राशि में होते हैं, तब उज्‍जैन में महाकुंभ लगता है यह स्थिति भी हर 12 वर्षों में, उज्‍जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर महाकुंभ (सिंहस्थ कुंभ) का आयोजन करती है, इसलिए लोगों को इससे ज्योतिष का स्पष्ट महत्व समझ में आ जाना चाहिए।