जानें श्राद्ध पक्ष 2025 की तिथियां, महत्व और विधि-विधान
अमर उजियारा एक्सक्लूसिव, आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल। श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष) हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है। मान्यता है कि इस समय पितृलोक के द्वार खुलते हैं और पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर अपने परिजनों से आशीर्वाद लेने आती हैं।
श्राद्ध पक्ष 2025 कब से कब तक
- आरंभ तिथि – 7 सितंबर 2025, रविवार (पूर्णिमा समाप्ति के बाद)
- समापन तिथि – 21 सितंबर 2025, रविवार (अमावस्या)
- यानी कुल 15 दिन तक पितृपक्ष श्राद्ध रहेगा।
श्राद्ध का महत्व
1. पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है।
2. परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
3. यह कर्म ऋण और पितृ ऋण से मुक्ति पाने का श्रेष्ठ उपाय माना गया है।
श्राद्ध विधि-विधान
1. स्नान और संकल्प – प्रातः स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें और संकल्प लें।
2. पिंडदान – पके हुए चावल, तिल और जौ मिलाकर पिंड अर्पित करें।
3. तर्पण – जल, तिल और कुश से पितरों का तर्पण करें।
4. ब्राह्मण भोजन – ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन व दान देना आवश्यक है।
5. कुल परंपरा – जिस तिथि को परिवार का सदस्य दिवंगत हुआ हो, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध करना विशेष फलदायी माना जाता है।
विशेष सावधानियां
- श्राद्ध काल में मांसाहार, मदिरा और तामसिक भोजन से बचें।
- ब्राह्मण, गाय, कौवा, कुत्ते और चींटियों को भोजन अवश्य कराएं।
- झूठ, छल-कपट और क्रोध से दूरी रखें।
👉 संक्षेप में : श्राद्ध पक्ष केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। इसे पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहिए।
नोट – व्यक्तिगत ज्योतिषीय, कर्मकाण्ड विषय के परामर्श के लिए आप हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” से संपर्क कर सकते हैं। मोबाईल नंबर -9411153845

