उत्तराखंड के शिक्षकों को दिल्ली में मिलेगा सम्मान

नई दिल्ली, 30 अगस्त। उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच – दिल्ली, राज्य की लोक भाषाओं कुमाऊंनी और गढ़वाली को बढ़ावा देने में सहयोग करने वाले शिक्षकों को “शिक्षक सम्मान–2025” से सम्मानित करेगा। यह कार्यक्रम 7 सितंबर 2025 को दिल्ली स्थित स्पीकर हाल, कंस्टीट्यूशनल क्लब, रफी मार्ग में आयोजित होगा।

मातृभाषा के संरक्षण के लिए पहल

  • मंच की ओर से अप्रैल से जून 2025 के बीच 7 केंद्रों पर विशेष कक्षाएं चलाई गईं।
  • इन कक्षाओं में बच्चों को रविवार और अवकाश के दिनों में कुमाउनी और गढ़वाली भाषा सिखाई गई।
  • बच्चों ने अपनी मातृभाषा में परिचय, वंदना, प्रार्थना, रिश्ते–नाते, उत्तराखंड के पर्यटक स्थल, प्रमुख व्यक्तित्व, लोकगायक, लोकगीत और सामान्य ज्ञान पर पठन–लेखन और वाचन का अभ्यास किया।

किन शिक्षकों को मिलेगा सम्मान?

  • इन कक्षाओं के संचालन में अल्मोड़ा और चंपावत जिले के कई शिक्षकों ने सहयोग दिया, जिनमें प्रमुख हैं –
  • अल्मोड़ा जिले से: कृपाल सिंह शीला, मोहनचंद्र गड़ाकोटी, प्रकाश पंत, प्रभा बिष्ट, शीश प्रकाश, त्रिभुवन सिंह जलाल, गिरीश चंद्र मठपाल।
  • चंपावत जिले से: तुलसी भट्ट, जगदीश सिंह तड़ागी, सहदेव पुनेठा, मान सिंह बिष्ट, हेमा बिष्ट, ललित मोहन तिवारी, पुष्कर नाथ गोस्वामी।

मंच के संयोजक

इस पहल में मंच के संरक्षक और संयोजक विनोद बछेती, दिनेश ध्यानी, दयाल नेगी, रमेश हितैषी और रेखा चौहान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

👉 इन सभी शिक्षकों को मातृभाषा के संरक्षण में योगदान के लिए 7 सितंबर को सम्मानित किया जाएगा।