राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर संस्कृत शिक्षा विभाग की एकदिवसीय कार्यशाला संपन्न
देहरादून। कल सोमवार, मार्च 3 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर संस्कृत शिक्षा विभाग की एकदिवसीय कार्यशाला राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा अभियान देहरादून में संपन्न हुई।
दीप प्रज्वलित कर बैठक का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना अपर निदेशक डॉ कुलदीप गैरोला ने कहा कि विद्या परा और अपरा दो प्रकार की होती है, अपरा विद्या का अध्ययन सभी विद्यालयों में सभी विषयों के रूप में होता है, परंतु परा विद्या का अध्ययन केवल संस्कृत में ही हो सकता है और उसके बिना विद्या पूर्ण नहीं होती है ,इसलिए नहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है इसलिए इसे समग्र शिक्षा से जोड़ने के लिए संस्कृत शिक्षा निदेशालय का प्रयास प्रशंसनीय है।
कार्यशाला के आयोजक माध्यमिक शिक्षा के संयुक्त निदेशक एवं संस्कृत शिक्षा के निदेशक डॉ आनंद भारद्वाज ने कहा कि विज्ञान और गणित सहित समस्त विषयों के मूल में संस्कृत भाषा है, इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की यह कार्यशाला संस्कृत शिक्षा के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
कार्यशाला का शुरू से लेकर अंत तक सफल संचालन करते हुए सहायक निदेशक डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत एवं संस्कृति की वजह से है, और इसीलिए नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति का पुट भी लिया गया है।
प्रातः 10:00 बजे से शाम 5:00 तक पांच चरणों में चली मैराथन कार्यशाला में एक्सपर्ट के रूप में उत्तराखंड नई शिक्षा नीति की कार्यक्रम संबंधित डॉक्टर कामाख्या, भाषाविशेषज्ञ डॉक्टर अंकित जोशी, नई शिक्षा नीति व्यावसायिक उपादेयता के विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील भट्ट ने सरल एवं रुचिकर भाषा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर व्याख्यान दिए।
मौके पर सहायक निदेशकों में डॉक्टर बाजश्रवा आर्य, पद्माकर मिश्र, पूर्णानंद भट्ट ,मनोज कुमार , एस सी आर टी की संस्कृत प्रवक्ता डॉ आनंद प्रभा, साधना डिमरी ,प्राचार्य डॉक्टर ओम प्रकाश,आर डी गौनियाल, राम प्रसाद थपलियाल,हरीश तोपाल, भारत राम तिवारी, विनायक भट्ट, इंद्र मोहन डोभाल, कविता मैथानी ,डॉक्टर दीप शिखा, मीनाक्षी रावत, सुनील बिजलवान, अरविंद भट्ट, रजनी मलासी, सरिता पुरोहित सहित शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा के पूरे राज्य के चुने हुए प्रधानाचार्य एवं विषय विशेषज्ञ उपस्थित रहे।