अल्मोड़ा : नन्दा – सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन, डोला यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

अल्मोड़ा। कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर नन्दा-सुनन्दा महोत्सव का समापन मंगलवार को ऐतिहासिक डोला यात्रा के साथ हुआ। अल्मोड़ा नगर की गलियों में निकली इस शोभायात्रा में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। माता के जयकारों, लोक नृत्य और भक्तिमय संगीत से पूरा वातावरण गूंज उठा।

कैसे हुई शुरुआत

महोत्सव की शुरुआत पारंपरिक कदली वृक्ष शोभायात्रा से हुई थी। श्रद्धालु भजन-कीर्तन और छोलिया नृत्य की थाप पर कदली वृक्ष लेकर नन्दा देवी मंदिर पहुंचे। इसके बाद 31 अगस्त को नन्दा अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

डोला यात्रा का आकर्षण

समापन दिवस पर मंदिर से माता का डोला निकाला गया। फूलों से सजे डोले के आगे-आगे श्रद्धालु नाचते-गाते चल रहे थे। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में गीत गा रही थीं, तो बच्चे माता के जयकारे लगा रहे थे। पूरी शोभायात्रा भक्ति और उत्साह से सराबोर रही।

प्रशासन की तैयारी

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा इंतज़ाम किए। पुलिस ने यातायात डायवर्ट कर मार्गों को व्यवस्थित किया ताकि यात्रा शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से सम्पन्न हो सके।

विशेष आकर्षण

डोला यात्रा : आस्था और परंपरा का अनुपम मिलन, जहां हजारों लोग माता को विदा करने उमड़े।

लोक संस्कृति का रंग : छोलिया नृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्र और स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियों ने समापन को यादगार बनाया।

सुरक्षित आयोजन : प्रशासन और आयोजकों के बेहतर प्रबंधन से पूरा कार्यक्रम अनुशासित और भव्य माहौल में सम्पन्न हुआ।

नन्दा-सुनन्दा महोत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह कुमाऊं की लोक संस्कृति और सामाजिक एकता का भी उत्सव है। इसने एक बार फिर साबित किया कि अल्मोड़ा में यह पर्व केवल पूजा का नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक एकजुटता का महोत्सव है।