डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल शास्त्रों वेदों और उपनिषदों का ज्ञान रखने वाले पहले अधिकारी – मदन मोहन शर्मा
- उत्तराखंड ही नहीं अपितु देश के पहले अद्भुत विद्वान अधिकारी डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल, जिन्हें लोग संत की तरह पूज रहे हैं।
देहरादून। छोटे बड़े अधिकारी तो देश और प्रदेश में बहुत हैं परंतु एक अधिकारी ऐसा भी है, जिसकी विद्वता और कुशल प्रशासन क्षमता का उदाहरण देते हुए लोग विभिन्न कार्यक्रमों में बुलाकर उनकी पारदर्शिता पूर्ण कार्यशैली एवं अद्भुत उद्बोधन को सुनकर उनकी संत की तरह पूजा भी कर रहे हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल की जिनकी विद्वता और कुशल प्रशासन क्षमता की चर्चा तो है ही साथ ही लोग उनको विभिन्न कार्यक्रमों में बुलाकर संत की तरह उनकी पूजा भी कर रहे हैं, पड़ताल करने पर पता चलता है कि डॉक्टर घिल्डियाल एक ऐसे अधिकारी हैं , जिन्हें गत वर्ष 20 दिसंबर 2024 को बॉलीवुड के सितारों के बीच उनकी कुशल प्रशासन क्षमता एवं विद्वता के साथ-साथ सदाबहार स्मार्टनेस के लिए गेस्ट ऑफ ऑनर सम्मान दिया गया।
परंतु इतना ही नहीं अभी तीर्थ नगरी ऋषिकेश में तुलसी मानस मंदिर में चल रही श्री राम कथा के दौरान मंच से उनके अद्भुत उद्बोधन को सुनकर व्यापार सभा ऋषिकेश और पंजाबी महासभा ऋषिकेश ने स्थानीय संतों और आचार्यों के साथ मिलकर बाकायदा मंच पर उन्हें अधिकारी के रूप में एक महान संत की उपाधि देते हुए फूल मालाओं एवं केसरिया शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर व्यापार सभा के पूर्व अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा ने कहा कि उन्होंने जीवन में अधिकारी बहुत देखे हैं, परंतु ऐसा अधिकारी पहली बार देखा जिसको शास्त्रों वेदों और उपनिषदों का इतना गहरा ज्ञान होने के साथ-साथ उसके अनुरूप आचरण भी हो।
स्मरणीय है कि सहायक निदेशक आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित होने के फल स्वरुप काफी वर्षों तक राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज ऋषिकेश में संस्कृत प्रवक्ता के रूप में रहे इस दौरान उनके उत्कृष्ट कार्यो को देखते हुए 2015 में उन्हें शिक्षा विभाग में राज्य का प्रथम गवर्नर अवार्ड दिया गया, इसके अतिरिक्त उनकी सटीक भविष्यवाणियों के लिए विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा एक्सीलेंस अवॉर्ड, सुशासन के सूत्रधार अधिकारी सम्मान,ज्योतिष श्री, ज्योतिष विभूषण, ज्योतिष वैज्ञानिक, ज्योतिष सूर्य और जनवरी 2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें ब्रह्म कमल जैसा महत्वपूर्ण सम्मान प्रदान किया। इस तरह वह पहले अधिकारी हैं, जिनको इतने सम्मान प्राप्त हुए हैं, और बिना किसी आडंबर और अतिरिक्त वेशभूषा के भी लोग उन्हें संत की तरह पूज रहे हैं।