प्रसिद्ध गढ़वाली गायिका कुन्ती मिश्रा ने होली पर विशेष साक्षात्कार में साझा की अपनी संगीत यात्रा।
देहरादून(बालावाला)। गढ़वाली लोक संगीत के प्रशंसकों के लिए एक खास मौका हे , जब सुप्रसिद्ध गायिका कुन्ती मिश्रा अपने जीवन, संगीत प्रेरणाओं और उत्तराखंडी लोक संगीत के बदलते स्वरूप पर एक विशेष साक्षात्कार में चर्चा किया साथ ही होली पर प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं दीं।
कुन्ती मिश्रा ने अपने करियर के दौरान कई लोकप्रिय गीत गाएं हैं और गढ़वाली गीतों से लाखों दिलों को छुआ है। अपनी अद्वितीय गायकी और पारंपरिक लोक धुनों से वे उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
इस विशेष साक्षात्कार में कुन्ती मिश्रा जी ने अपने शुरुआती संघर्ष, लोक संगीत की सांस्कृतिक धरोहर में भूमिका और अपने आगामी प्रोजेक्ट्स के बारे में विस्तार से बताया। बातचीत में यह भी चर्चा हुई कि कैसे गढ़वाली संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है और यह नई पीढ़ी को किस तरह प्रेरित कर रही है।
कुन्ती मिश्रा जी ने कहा, “गढ़वाली संगीत सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और पहचान का अभिन्न हिस्सा है। मैं इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह समर्पित हूं।”