14 या 15 मार्च किस तारीख को मनाई जाएगी होली? उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डयाल “दैवज्ञ” का महत्वपूर्ण बयान हुआ जारी
देहरादून। होली का त्योहार पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. अक्सर लोगों को त्योहारों को सेलिब्रेट करने की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है. इस बार भी कुछ लोग कह रहे हैं , कि होली 14 मार्च को मनाई जाएगी कुछ लोग 15 मार्च को बता रहे हैं, सोशल मीडिया पर जनता के असमंजस का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” का इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बयान जारी हो गया है।
आचार्य दैवज्ञ ने कहा कि होली का त्योहार खुशियों और एक-दूसरे को रंगों में सराबोर कर देने वाला त्योहार है. इसमें दुश्मन भी अपनी दुश्मनी भुलाकर दोस्त बन जाते हैं और गले लगा लेते हैं. देश में होली का त्योहार एक बहुत बड़ा त्योहार है. इसका इंतजार लोगों को बेसब्री से रहता है।
ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तारीख में होलिका दहन मनाया जाता है और उसके अगले दिन रंगो वाली होली खेली जाती है. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लोग होली मनाते हैं.एक-दूसरे पर लोग गुलाल, रंग लगाकर होली सेलिब्रेट करते हैं. तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। अलग-अलग राज्यों में होली मनाने का खास तरीका है।
कब है होली!
ज्योतिष शास्त्र के निर्णय सिंधु कहे जाने वाले डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल” दैवज्ञ” महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहते हैं, कि इस साल 13 मार्च दिन गुरुवार को होलिका दहन है. इस दिन सुबह दस बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो रही है. जो 14 मार्च को दोपहर बारह बजकर 23 मिनट में समाप्त होगी. इस तरह से होलिका दहन 13 मार्च और रंगों वाली होली 14 मार्च को ही मनाई जाएगी. होलिका दहन को छोटी होली भी कहते हैं. इसके अगले दिन बड़ी होली यानी धुलेंडी मनाई जाएगी. आचार्य दैवज्ञ के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त यद्यपि प्रदोष काल में होता है परंतु इस दिन रात को 11:31 तक भद्रा का दोष है,परंतु रात 10 बजकर 45 मिनट भद्रा के पुच्छ काल में होलिका दहन किया जा सकता है जिसका मुहूर्त रात 1 बजकर 30 मिनट तक भी रहेगा।
क्या है होलिका दहन का महत्व
ज्योतिष मर्मज्ञ आचार्य दैवज्ञ के अनुसार होलिका दहन पर पूजा करने से संतान सुख प्राप्त होता है. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. शांति का वातावरण बना रहता है. चूंकि भद्राकाल में होलिका दहन मनाना शुभ नहीं होता, इसलिए इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है. भद्रा काल जब खत्म हो जाए तभी आप पूजा कर सकते हैं. यह शुभ होगा. होलिका दहन पर माता होलिका की पूजा रात के समय की जाती है. होलिका दहन करने की जहां व्यवस्था की गई हो, उस स्थान पर जाकर पहले होलिका के चारों तरफ परिक्रमा करनी चाहिए और फिर पूजा सामग्री अर्पित करनी चाहिए।